Haath Jod Ne Araj Karoo –  हाथ जोड़ ने अरज करू

हाथ जोड़ने अरज करूं मैं , आयो थारे बारणे ।
दुनियाँ म्हाने मेणां बोले , एक टाबर रे कारणे ॥

अजमल केवे सुण रे सांवरा , इतरो मत बण रे मुंजी ।
एक टाबरियो म्हाने देवे तो , नहीं घटे थारी पूँजी ॥
नहीं सुणेला , विघन करूंला , आयो घर सूंधारने ।।
दुनियाँ म्हाने मोसा बोले , एक टाबर रे कारणे ॥

पण्डो बोल्यो सुणो ठाकरां , मूरत सेथे काँई लड़ो ।
सांवरिया सं मिलणो वे तो , सागरिया में कूद पड़ो ।
इण सागर में पीपा जी ने , मिलिया चारभुज धार ने।
दुनियाँ म्हाने मोसा बोले , एक टाबर रे कारणे ॥

इतरी बात सुणी अजमल ने , सागरिया में कूद पड्या ।
सोने रा तो महल देखिया , हीरा पन्ना सूं जड़िया ।
आय सांवरे दर्शण दीना , सिर पर पट्टी बाँधने ॥
दुनियाँ म्हाने मोसा बोले , एक टाबर रे कारणे ॥

चौदह सौ इकसठ माघ सुद , नयो चाँद जद ऊगेला ।
सुणजे अजमल थारे पालणे , दो दो टाबर झूलेला ।
पाणी रो तो दूध बणेला , कुंकुं पगल्या आँगणे ॥
दुनियाँ म्हाने मोसा बोले , एक टाबर रे कारणे ॥

अजमल घर अवतार लियो है , द्वारिका रा नाथ जी ।
भक्त मण्डली चरणों में बाबा , धरो शीश पर हाथ जी ।
बेगा आइजो न देर लगाइ जो , भक्तां रे हित कारणे ॥
दुनियाँम्हाने मोसा बोले , एक टाबररे कारणे ॥

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